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पनाह

Deepak Dobhal
Deepak Dobhal
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ये जिन्दगी भी अभी किस मोड़ पर है

न मंजिल है      न राह है

फिर भी दिल में एक चाह है

पाना है उसे जिसे सपने मे देखा है

उसी में जिन्दगी और मौत की पनाह है ।

दूर दिखती एक रोशनी  है

जिसमे अपना नूर नजर आता है

जाना है वहां कोई न अपना जहां है

फिर भी दिखते अपने अजनबी कुछ वहां है

पाना है उसे जिसे सपने में देखा है

उसी मे जिन्दगी और मौत की पनाह है ।

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